कहते हैं कि बचपन जीवन का सबसे अनमोल समय होता है. लेकिन, उसी बचपन में पढ़ाई लिखाई के बजाय अगर बच्चे बाल मजदूरी करने लगे तो उनका बचपन नष्ट हो जाता है. हर साल करोड़ों बच्चे पढ़ाई लिखाई छोड़कर बाल मजदूरी में लग जाते हैं. ऐसे में बच्चों के बचपन को बचाने और लोगों के बीच इसके लिए जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 12 जून को विश्व बालश्रम निषेध दिवस मनाया जाता है. गुरुकुल संस्था के निदेशक गजेंद्र नाथ चौहान ने कहा, ‘बाल मजदूरी हमारे समाज के लिए एक अभिशाप है और हम जितने भी संस्था संगठन हैं, बाल मजदूरी से बच्चों को निकालकर उनके उज्जवल भविष्य के लिए स्कूल एजुकेशन और सशक्तिकरण के लिए अलग-अलग गतिविधियों के साथ कार्यरत हैं और आगे भी हम इसी तरह कार्य करते रहेंगे।हर साल दुनियाभर में 12 जून को विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन को मनाए जाने का उद्देश्य 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से श्रम ना कराकर उन्हें शिक्षा दिलाने और आगे बढ़ने के लिए जागरूक करना है, ताकि बच्चे अपने सपनों और बचपन को ना खोएं.हर साल यह कोशिश रहती है कि 12 जून को विश्व दिवस बाल श्रमिकों की दुर्दशा को उजागर किया जाए. सरकारों, नियोक्ताओं और श्रमिक संगठनों, नागरिक समाज के साथ-साथ दुनिया भर के लाखों लोगों को जागरूक किया जाता है और उनकी मदद के लिए कई कैंपेन भी चलाए जाते हैं. कई बच्चे ऐसे है जो बहुत छोटी उम्र में अपना बचपन खो देते हैं. 5 से 17 साल के बच्चे ऐसे काम में लगे हुए हैं जो उन्हें सामान्य बचपन से वंचित करते हैं और शिक्षा और स्वास्थ्य से दूर हैं.इस दिन को मनाने के पीछे यह कारण है कि लोगों के बीच बाल मजदूरी को रोकने के जागरूकता लाई जा सके. इसके साथ ही उन्हें बचपन में पढ़ाई लिखाई, सही चिकित्सा सेवा और खेलकूद का पूरा मौका मिल सकें.
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