गुरुकुल की ओर से शिक्षक दिवस श्रद्धापूर्वक मनाई गई। मौके पर शिक्षकों और छात्रों ने डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के चित्र पर माल्यार्पण कर पुष्पांजलि दी।गुरुकुल के निदेशक गजेन्द्र नाथ चौहान ने कहा कि गुरु ज्ञान और प्रकाश का प्रवाह पुंज है। अपने शिष्य के प्रति गुरूतर दायित्व निभाते हुए एक कुम्हार की भांति उसके जीवन को रचता और संवारता है। गुरु हमें शिक्षा के साथ-साथ संस्कार, संस्कृति,नैतिकता और अनुशासन की शिक्षा देता है। जीवन के बहुयामी विकास में गुरु का योगदान अतुलनीय है। गुरु सिर्फ हमें शिक्षा ही नहीं देता बल्कि हमारे सर्वांगीण विकास का सहभागी होता है। ‘गुरु’ का अर्थ व्यापक है। सिर्फ दो शब्दों में ही उसकी व्यापकता समाहित नहीं है। धर्म शास्त्रों से लेकर साधु-संत, रागी और बैरागियों ने भी गुरु को सर्वोपरि बताया है। हमारे संस्कार की शुरुआत ही गुरुकुल से होती है। हमारे आराध्य प्रभु श्रीराम और श्रीकृष्ण जी भी गुरु आश्रम में जाकर शिक्षा ग्रहण की थी। रामचरितमानस में इसका उल्लेख भी है कि ‘गुरु गृह पढ़न गए रघुराई, अल्प काल सब विद्या पाई। भगवान कृष्ण और उनके मित्र सुदामा गुरु संदीपन के यहां शिक्षा ग्रहण किए थे। हमारी गुरुकुल परम्परा बेहद शानदार रहीं है।गुरुकुल शिक्षा अभियान के तहत अनेक ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बच्चों के मध्य शिक्षण सामग्री वितरित की गयी। मौके पर सरोज आदित्य,प्रभात स्वांसी,ग्राम प्रधान कालीचरण महतो, आसाराम महतो,आशीष महतो,कविता महतो , आरती ग्वाला,सुनीता महतो,रायमानी महतो,जमुना महतो,रेखा ग्वाला,कल्पना ग्वाला
सहित अन्य का उपस्थित रहे।
